शारदीय नवरात्रि 2024: माता को लगाइए दही और मीठे का भोग, जानिए महत्व
वाराणसी: नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। इस दौरान भक्तजन अपनी श्रद्धा से माता को विभिन्न भोग अर्पित करते हैं, जिनमें दही और मीठे का भोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इन भोगों का चयन केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अर्थों के लिए भी किया जाता है।
दही का महत्व
- शुद्धता का प्रतीक: दही को एक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यह एक प्राकृतिक आहार है जो न केवल सेहत के लिए लाभदायक है, बल्कि इसके सेवन से मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता भी बढ़ती है।
- संतुलन और ठंडक: नवरात्रि के दौरान उपवास और तपस्या का क्रम चलता है। दही शरीर को ठंडक और संतुलन प्रदान करता है, जिससे भक्त की ऊर्जा बनी रहती है।
- प्रसाद के रूप में: दही को माता को भोग के रूप में अर्पित करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। इसे विशेष रूप से पूजा के दौरान अर्पित किया जाता है, जिससे भक्त की आस्था और श्रद्धा का संचार होता है।
मीठे का भोग
- आनंद और उत्साह: मीठे का भोग खुशियों और उत्साह का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान देवी माता की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए मीठे का भोग अर्पित किया जाता है।
- उपवास का सम्मान: उपवास के दौरान मीठे का भोग देने से भक्तों को ऊर्जा और उत्साह मिलता है। यह माता के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करने का एक माध्यम है।
- आध्यात्मिक उन्नति: मीठे का भोग अर्पित करने से भक्त को मानसिक शांति और संतोष की अनुभूति होती है। इसे अर्पित करते समय “ॐ देवी दुर्गायै नमः” का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक आस्था
नवरात्रि के दौरान माता को दही और मीठे का भोग अर्पित करना न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन है, बल्कि यह हमारे जीवन में स्वास्थ्य, संतुलन और मानसिक शांति का संचार करता है। ये भोग देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम हैं, जिससे भक्तों को उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस नवरात्रि, भक्तजन अपनी श्रद्धा से माता को दही और मीठे का भोग अर्पित करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास करें।